परिंदा।

 Hello everyone, this is Mohammad Yusuf. I am back with a new poem. Hope you all are healthy and doing well. This time it's my most ambitious poem. This thing defines me, tells everything about me. Its like taking out my heart and presenting it to you all. This poem is very special for me, I took so many days to compose it. Its not just a poem but emotion. It is in form of lyric which contains hindi and urdu vocabulary. I am damn sure everyone will connect with this poem. After reading it, don't forget to comment your favorite line. If you want it in a musical form, let me know in the comment box. So, here we go.

   

                                   Parinda!

पिजरे में कैद एक निडर परिंदा हूं,

एक दिन खुले आसमान में उड़ कर अपनी एक अलग दुनिया बनाऊंगा मैं।

टूटा हुआ तारा हूं,

टूट कर भी किसी की ख्वाहिश पूरी कर जाऊंगा मैं।

बिना ताज़ का बादशाह हूं,

अपनी सल्तनत को मां के कदमों में महफूज रख दूंगा मैं।

एक खुली किताब हूं,

फटे पन्नों में छिपा हुआ राज़ हूं मैं।

अपने वालिद की नकल नहीं, उनकी परछाईं हूं मैं।

कभी अपने वालिदैन का झुकाया सर नहीं।

मां ने बताया था एक निडर परिंदा हूं,

ना कभी बेड़ियों में आऊंगा मैं।

जब कोई नोचना चाहता है पर मेरा,

एक और तरक्की से उनके हाथ जलाता हूं मैं।

क्या ही पा लेंगे छोटे पंक्षी दिल दुखा के मेरा,

इसकी भी नज़्म लिख कर प्यार लूट जाऊंगा मैं।

मुझे क्या, मैं तो आज़ाद परिंदा हूं,

जहां प्यार मिलेगा वहीं बैठ जाऊंगा मैं।

मैंने दिल दुखाए बहुत,

लेकिन अपनो पे प्यार भी लुटाया बहुत।

नाराज़ भी किए मैंने काफी लोगों को,

काफी कीमती वक्त दिया मैंने गलत लोगों को।

गुनाह भी बहुत किए, मेरे हाथ साफ पाक नहीं,

पर दिल का हूं पाक मैं।

कम दिखता हूं अब लोगों की नज़रों में,

अकेले ही तूफान कि तैयारी में लगा हूं मैं।

जो मुझे जानते नहीं उनके लिए भी खड़ा हूं मैं,

जो मुझे जानकर भी हैं अंजान उनकी तरफ पीठ करके चल रहा हूं मैं।

तरक्की की चिड़िया को साथ लेकर उड़ गया हूं,

भरोसा ऐसा करता हूं कि किसी ख़ास के हाथों ज़हर भी पी गया हूं मैं।

चेहरे पे हमेशा हसी रखता हूं,

शायद इसीलिए काफी चेहरों के जलने कि वजह हूं मैं।

खेलूं मैं आग से, तूफानों से खेलता हूं,

माशाअल्लाह, बुद्धि इतनी तेज़ की अपनी कलम और मेहनत से ही बोलता हूं मैं।

मेरी जीत की चीखें हैं तेज़,

इसलिए शायद कम बोलता हूं मैं।

जीने का अलग है तरीका मेरा, मेरे जेब में भले ना चमके हीरा,

पर फक्र से चमक रहा है सीना मेरा।

दोस्ती करने से पहले मजहब नहीं देखता हूं,

दोस्त भले ही कम, पर जो हैं उनके साथ दुनिया जीत लाऊंगा मैं।

फतेह पूरी करूं, आधी ज़ंग नहीं लड़ता हूं,

अकेले ही खड़ा शिखर पर, झुंड में नहीं रहता हूं मैं।

हारा हुआ जुआ भी वापस जीतता हूं मैं।

अगर तकलीफ है मेरे काम से, तो करलो अपनी आंखें बंद,

क्यूंकि अभी तुम्हारी आंखों को और जलाऊंगा मैं।

गीदड़ के साथ ना खाता, सीधा शिकार करता हूं मैं,

अंधेरे से डरता नहीं, जुगनुओ का यार हूं मैं।

रंग फैलाने वाली तितलियों के साथ हूं मैं,

उड़ान सीखाने वाले बाजों का यार हूं मैं।

अगर किसी को हो धड़कन की ज़रूरत,

दिल छाती से नोचकर दे दूंगा मैं।

अज्ञात सी एक रोशनी हूं,

एक दिन सबकी ज़ुबान पे रहूंगा मैं।

मेरी मां ने भले ही ना खोली हो किताबें,

उनकी दुआ से कोई ऐसा शब्द नहीं जो लिख सकूं ना मैं।

अभी थोड़ी सी उड़ान कि है मैंने,

थोड़ा सा थक गया हूं मैं।

अपने परो को कर लूंगा इतना मजबूत,

एक दिन पूरी दुनिया जीत लाऊंगा मैं।

एक दिन भले ना दिखूं इस ज़मीन पर,

निडर परिंदा हूं, आसमान में सबसे ऊपर उड़ता नजर आऊंगा मैं।



Hope you liked the poem. Don't forget to share it with your family and friends. 

Thank you for reading.

- Mohammad Yusuf

Instagram @oneshot_blog , @yusuf_oneshot

Comments

  1. बहुत लम्बी कविता है, इतनी लम्बी बीर रस की होती हैं, प्यार मोहब्बत की कविता छोटी होती हैं, दिल में तीर भेदते है, तोप से नही उड़ा देते है

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  2. ����Your recitation on this one is definitely gonna pour deeper into our hearts... beautifying these words to its best!!

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  3. beautiful and magical words.. ❣️

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