आईना।
Hello everyone, this is Mohammad Yusuf. I hope everyone is safe, fine and doing well. I am back with a poem. This time a hindi poem. Something different and new. Not a romantic or motivational poem but a poem with negativity. This poem shows how a sad person sees himself in the mirror. That's why it is titled as ' आईना '. Theme of this poem is mental health. This poem depicts how much important mental health is and how a mentally unhealthy person finds himself. Hope you will love this poem as my previous ones. So, here we go.
' आईना '
एक ख़ूबसूरत शमशीर था,
आज बिन मयान की तलवार बन गया हूं मैं।
कई ज़ंग जीतनी थी मुझे,
आज खुद से शिखस्त पा कर बैठा हूं मैं।
किताबों के बीच गुजरते थे दिन मेरे,
आज खुद को ही नहीं पढ़ पा रहा हूं मैं।
सब तो है आस पास मेरे,
बस खुद को ही नहीं देख पा रहा हूं मैं।
एक बेहतर ' मैं ' की तालाश में निकला था,
लेकिन अपने अंदर के शैतान का ग़ुलाम बन गया हूं मैं।
अपनी अलमारी को कामयाबियों से सजाई थी मैंने,
उसी अलमारी पर धूल जमते देख रहा हूं मैं।
सोचा था एक ख़ूबसूरत घर बनाऊंगा अपना,
लेकिन सफर करने की तलब में पड़ गया हूं मैं।
लोगों की उम्मीदों का बक्सा था मेरी पीठ पर,
आज उन्हीं लोगों से नज़रें नहीं मिला पा रहा हूं मैं।
किसी इम्तेहान में कभी घबराया नहीं था,
आज छोटी छोटी चीजें करने में क्यों डरता हूं मैं?
अपने मुस्तकबिल वक़्त के लिए कितना खुश था,
अब बीते हुए वक़्त में क्यों जाना चाहता हूं मैं?
दोस्त बनाने थे कई अभी,
लेकिन खुद से ही नाराज़ बैठा हूं मैं।
अकेलेपन में रहने को सोचा था कभी,
लोगों की तड़प में क्यों हूं मैं?
अपने दुश्मनों को बर्बाद करने का सोचा था,
खुद की बर्बादी का वजह बन रहा हूं मैं।
कतल तो किसी का किया नहीं,
लेकिन अब खुद के ख्वाबों का कातिल बन गया हूं मैं।
गहरी नींद में सोने की आदत थी मेरी,
नींद से धीरे धीरे राब्ता तोड़ रहा हूं मैं।
सुबह जल्दी आंखें खोल लेता था,
लेकिन अब जब मेरे ख्वाब मुझे जगाने आए तो उन्हें सच समझ कर सोया रहा हूं मैं।
आगे भागने का शौक़ था मुझे,
फिर क्यों धीरे चलने लगा हूं मैं?
' यूसुफ ' को ढूंढते ढूंढते अपने ही दिमाग में कैद हो गया हूं,
कभी इसी ' यूसुफ ' पर गुरूर करता था मैं।
पूरी दुनिया जीतने निकला था,
आज खुद के ही पीछे खड़ा हूं मैं।
ज़िन्दगी के आईने में खुद से बहुत दूर खड़ा हूं मैं।
होना था मुझे पूरी दुनिया में मशहूर,
लेकिन आईने का गुमनाम, धुंधला परछाई बना खड़ा हूं मैं।
Thank you for reading everyone. Hope you loved the concept and got the message which I was hoping to highlight. Comment your views in the comment box and share with your family and friends.
Mohammad Yusuf
Instagram @oneshot_blog and @yusuf_oneshot
Vahh bhai��❤
ReplyDeleteBhai kuch jaada he khatarnak likhtey ho mazaaa aa gaya padh k sir
ReplyDeleteTagda bhai🔥
ReplyDeleteBeautiful ❤️
ReplyDelete😍😍❤❤
ReplyDelete����
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ReplyDeleteNice❤️
ReplyDeleteA glimpse of phase which shows our Strength ��❤️
ReplyDeleteBeautiful lines & quite true ��
You are great brother
ReplyDeleteYour future also 💥💥
Bhai bht hi badhiya
ReplyDeleteIske liye to shbd hi ni h
Bht hi umdaaaaa
One of the finest line for self motivation ❣️
ReplyDeleteDil jeet liye bhai ❤️
ReplyDeleteTerrific but true !
ReplyDeleteWe all face these sort of situations Yusuf. Beautifully portrayed. You are good at heart and soul, this reflects in your scripts.
Keep going, remember "consistency is the key to success".