क्यों।

 Hello everyone. This is Mohammad Yusuf, I hope you all are fine and doing well. I am back with my new poem. It is my shortest poem so far but it is very special. Every line in this poem came directly from my heart. Hope you will love it. Here we go.

                                   "क्यों"


बचपन की मासूमियत से थे बंधे,

दुनियादारी की आदत क्यों लग गई?

मुस्कुराते और हस्ते निकलते थे दिन,

उदासी की आदत क्यों लग गई?

अनजाने में भी नेकी करते थे हम,

गुनाहों की आदत क्यों लग गई?

हार कर भी मुस्कुराते थे हम,

यह जीत की तलब क्यों लग गई?

सूरज की चमक का करते थे इंतज़ार,

यह अंधेरे की आदत क्यों लग गई?

प्यार और मोहब्बत से घिरे रहते थे हम,

अकेलेपन की आदत क्यों लग गई?

किताबो और खिलौनों में थी ज़िन्दगी बंद,

बाहर की हवा क्यों लग गई?

खेतो और बगीचों में घूमते थे हम,

एक बंद कमरे की आदत क्यों लग गई?

दोस्तो के साथ बिताते थे दिन,

काम की आदत क्यों लग गई?

भाग दौड़ कर जो कभी थकते ना थे,

उन्हें दवाइयों की आदत क्यों लग गई?

सफल हो कर खुश होना चाहते थे,

लेकिन सिर्फ सफलता की भूक क्यों लग गई?

भौरों की धुन में मदहोश थे हम,

खामोशी की आदत क्यों लग गई?

रिश्तों के लिए इज्जत होती थी,

पैसों से दोस्ती क्यों हो गई?

फरिश्तों से दोस्ती थी अपनी खास,

शैतान की आदत क्यों लग गई?

घर वालों के बिना मन नहीं लगता था,

अपनों से ही दूरी क्यों हो गई?

हमेशा गुनगुनाया करते थे हम,

खयालों में गुम रहने की आदत क्यों लग गई?

उड़ कर सारा आसमान मापना चाहते थे हम,

लेकिन बस फड़फड़ाने की आदत क्यों लग गई?

खुद की खोज में निकले थे हम,

बार बार भटकने की आदत क्यों लग गई?

कभी ऊंचे आसमान में उड़ने वाले परिंदे थे हम,

अपने ही बनाए हुए पिजड़े की आदत क्यों लग गई?

Thank you for reading this poem. I hope you loved it. Don't forget to comment your favorite line. Stay connected for my new post.

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Comments

  1. Utkarsh Pandey31 May 2021 at 03:07

    Wahh bhaii❤��..maza aya

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  2. Bhtttt hi umdaaaa Bhaiii....
    I liked each Nd every line of this poem nd it's hard for me to pick the best part...
    Soo Keep growing brother ❤️❤️❤️. @rique

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  3. Really superb!!! Written yusuf...
    Aj kal ki lives ko kuch words mein describe kr dia🌹
    Great work 💕

    ReplyDelete

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